पूर्ण संत संतरामपालजी महाराज ने प्रमाणित करके बताया है कि परमेश्वर कबीर साहेब जी को सिकंदर लोदी के धार्मिक गुरु शेखतकी ने 1 बार नही 52 बार मारने की कोशिश की। जिसे बावन कसनी कहा जाता है । लेकिन उस मूर्ख को उस समय कौन समझाता कि अविनाशी परमेश्वर को कौन मार सकता है।
शेखतकी ने जुल्म गुजारे ,बावन करी बदमाशी।।
सिकंदर लोदी जो जलन का रोग था जो पूरे विश्व के वैद्य हकीम, झाड़-फूंक, जंतर-मंतर करने वालों सब कोशिश कर लिया लेकिन उसका रोग ठीक नही हुआ कबीर साहेब जी के एकमात्र आशीर्वाद से सिकंदर लोदी का रोग ठीक हो गया जिससे राजा की आस्था कबीर साहेब जी में बढ़ गई जिसे देखकर राजा का धार्मिक गुरु शेखतकी को ईर्ष्या होने लगी जिसका बदला लेने के लिए कबीर साहेब जी को मारने की योजना बनाने लगा
1-उबलते तेल में डालना :-
कबीर साहेब जी को जीवित जलाने के लिए उन्हें उबलते तेल के कड़ाहे में डाला गया। लेकिन समर्थ अविनाशी परमात्मा का बाल भी बांका नहीं हुआ।
सिकंदर लोदी जो जलन का रोग था जो पूरे विश्व के वैद्य हकीम, झाड़-फूंक, जंतर-मंतर करने वालों सब कोशिश कर लिया लेकिन उसका रोग ठीक नही हुआ कबीर साहेब जी के एकमात्र आशीर्वाद से सिकंदर लोदी का रोग ठीक हो गया जिससे राजा की आस्था कबीर साहेब जी में बढ़ गई जिसे देखकर राजा का धार्मिक गुरु शेखतकी को ईर्ष्या होने लगी जिसका बदला लेने के लिए कबीर साहेब जी को मारने की योजना बनाने लगा
1-उबलते तेल में डालना :-
कबीर साहेब जी को जीवित जलाने के लिए उन्हें उबलते तेल के कड़ाहे में डाला गया। लेकिन समर्थ अविनाशी परमात्मा का बाल भी बांका नहीं हुआ।
2- गहरे कुंए में डालना :-
कबीर साहेब जी को बांध कर गहरे कुँए में डाल दिया, ऊपर से मिट्टी, ईंट और पत्थर से कुँए को पूरा भर दिया। फिर शेखतकी सिकन्दर राजा के पास गया वहां जाकर देखा तो कबीर परमेश्वर पहले से ही राजा के पास विराजमान थे।
3- तलवार से वार करवाया :-
कबीर साहेब जी को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की।
साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील।
आर पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील।।
4- मुर्दा जीवित करना :-
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो इसकी परीक्षा ली जाए कोई मुर्दा जीवित करे। तब सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा ने दरिया में बहते आ रहे एक लडके के शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया। उसका नाम कमाल रखा। कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान हैं। पूर्ण परमात्मा ही मृत व्यक्ति को जीवित कर सकता हैं।
5- खूनी हाथी द्वारा मरवाने की कु-चेष्ठा :-
शेखतकी के कहने पर दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की आज्ञा दे दी। शेखतकी ने महावत से कहकर हाथी को एक-दो शीशी शराब की पिलाने को कहा।
हाथी मस्ती में भरकर कबीर परमेश्वर को मारने चला। कबीर जी के हाथ-पैर बाँधकर पृथ्वी पर डाल रखा था। जब हाथी परमेश्वर कबीर जी से दस कदम (50 फुट) दूर रह गया तो परमेश्वर कबीर के पास बब्बर शेर खड़ा केवल हाथी को दिखाई दिया। हाथी डर से चिल्लाकर (चिंघाड़ मारकर) भागने लगा। परमेश्वर के सब रस्से टूट गए। उनका तेजोमय विराट रूप सिकंदर लोधी को दिखा। तब बादशाह ने कांपते हुए अपने गुनाह की माफी मांगी।
6- जहरीले सांप से कटवाना :-
कबीर साहेब जी जब सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि इनके गले में जहरीला साँप डाल दो लेकिन वो साँप कबीर साहेब के गले में डालते ही सुंदर पुष्पों की माला बन गया। क्योंकि कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा थे।
7- गंगा नदी में डुबाने की कु-चेष्ठा :-
कबीर परमात्मा जब एक बार गंगा दरिया में डुबोने से भी नहीं डूबे तो शेखतकी ने फिर आदेश दिया कि पत्थर बाँधकर पुन: गंगा के मध्य ले जाकर जल में फैंक दो। सब पत्थर बँधन मुक्त होकर जल में डूब गए, परंतु परमेश्वर कबीर जी जल के ऊपर सुखासन लगाए बैठे रहे। नीचे से गंगा जल की लहरें बह रही थी। परमेश्वर आराम से जल के ऊपर बैठे थे।
8- पिघले हुए लोहे में बैठाना :-
कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे की मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय जयकार लगाई।
9- भूखा प्यासा मारने की चेष्टा :-
एक दिन शेखतकी ने कबीर साहेब को नीम के पेड़ में लोहे के तार से बांधकर भूखा प्यासा छोड़ दिया और सोचा कि कबीर साहेब मर जाएंगे। लेकिन कबीर साहेब को कुछ नहीं हुआ और वो वापिस जीवित दरबार में पहुँच गए।
पानी से पैदा नहीं, स्वांसा नहीं शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर।।
इस नीच खबीस ने तनिक भी नही सोचा कि ये मारे नही मर रहे हैं ये अल्लाह हु अकबर हैं। लेकिन आज पुण्यात्माओं आप सभी शिक्षित हो कम से कम परमेश्वर को तो पहचान लीजिए संतरामपालजी महाराज ने सारे धर्मों के सदग्रंथों से दिखा दिखाकर प्रमाणित भी कर दिया है कि कबीर साहेब जी परमेश्वर हैं।
सदग्रंथों से प्रमाण सहित सत्संग देखें साधना टीवी 7:30 PM से।
या पढ़ने के लिए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा पर क्लिक करें
प्रमाण सहित आध्यात्मिक ज्ञान जानने के लिए संतरामपालजी महाराज के अमृतवचन निम्न चैनलों पर रोजाना सुन सकते हैं🙏👇
कबीर साहेब जी जब सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि इनके गले में जहरीला साँप डाल दो लेकिन वो साँप कबीर साहेब के गले में डालते ही सुंदर पुष्पों की माला बन गया। क्योंकि कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा थे।
7- गंगा नदी में डुबाने की कु-चेष्ठा :-
कबीर परमात्मा जब एक बार गंगा दरिया में डुबोने से भी नहीं डूबे तो शेखतकी ने फिर आदेश दिया कि पत्थर बाँधकर पुन: गंगा के मध्य ले जाकर जल में फैंक दो। सब पत्थर बँधन मुक्त होकर जल में डूब गए, परंतु परमेश्वर कबीर जी जल के ऊपर सुखासन लगाए बैठे रहे। नीचे से गंगा जल की लहरें बह रही थी। परमेश्वर आराम से जल के ऊपर बैठे थे।
8- पिघले हुए लोहे में बैठाना :-
कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे की मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय जयकार लगाई।
9- भूखा प्यासा मारने की चेष्टा :-
एक दिन शेखतकी ने कबीर साहेब को नीम के पेड़ में लोहे के तार से बांधकर भूखा प्यासा छोड़ दिया और सोचा कि कबीर साहेब मर जाएंगे। लेकिन कबीर साहेब को कुछ नहीं हुआ और वो वापिस जीवित दरबार में पहुँच गए।
पानी से पैदा नहीं, स्वांसा नहीं शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर।।
इस नीच खबीस ने तनिक भी नही सोचा कि ये मारे नही मर रहे हैं ये अल्लाह हु अकबर हैं। लेकिन आज पुण्यात्माओं आप सभी शिक्षित हो कम से कम परमेश्वर को तो पहचान लीजिए संतरामपालजी महाराज ने सारे धर्मों के सदग्रंथों से दिखा दिखाकर प्रमाणित भी कर दिया है कि कबीर साहेब जी परमेश्वर हैं।
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