ॐ नाम ब्रह्म ( काल ) का।

पुण्यात्माओं आज हम ॐ नाम  काल अर्थात ब्रह्म या क्षर पुरुष या ज्योति निरंजन या महाकाल या सदाशिव का है सदग्रंथों से प्रमाण सहित जानेंगे। 

सबसे पहले श्रीमद्भगवद्गीता से  प्रमाण के लिए श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 का श्लोक 13 चेक कर लीजिए गीता बोलने वाला भगवान कह रहा है  🕉️ तो मेरा मंत्र है।  


खास बात देखिए अ 11 श्लोक 32 में खुद गीता बोलने वाला भगवान खुद अपना परिचय काल के रूप में दे रहा है। कह रहा है कि मैं काल हूं इस समय प्रकट हुआ हूं। गीता बोलने वाला भगवान कौन है प्रमाण सहित वीडियो। 🙏👇 

पवित्र ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 90 मंत्रा 1 में भी प्रमाण है (पुरूषः) विराट रूप काल भगवान अर्थात् क्षर पुरूष (सहस्रशिर्षा) हजार सिरों वाला (सहस्राक्षः) हजार आँखों वाला (सहस्रपात्) हजार पैरों वाला है गीता अध्याय 10-11में भी इसी काल/ब्रह्म का ऐसा ही वर्णन है अध्याय 11 मंत्रा नं. 46 में अर्जुन ने कहाहै कि हे सहस्राबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले आप अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दीजिए।  


अ 7 के 18 में गीता बोलने वाला भगवान वैसे भी अपनी भक्ति अनुत्तम (घटिया) बता रहा है क्योंकि वे अ 8 के श्लोक 16 में कह रहे हैं कि ब्रह्मलोक तक गए सभी जीव पुनरावृत्ति में हैं अर्थात जन्म मृत्यु होगी। इसीलिए तो काल भगवान अपनी भक्ति घटिया बता रहे हैं।
अ 2 के श्लोक 17 में काल ( ब्रह्म ) कह रहा है नाश रहित उस परमात्मा को जान जिसका नाश करने में कोई समर्थ नही है। अ 4 के  श्लोक 5 व अ 2 के श्लोक 12 में कहा है कि मैं तो नाशवान हूं।
पूर्ण मोक्ष का मंत्र "ओम तत सत" है जिसे गीताज्ञानदाता ने अ 17 के श्लोक 23  में अर्जुन से बोला है।  

इसके लिए अ 4 के 34 में अर्जुन को तत्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए बोल रहा है कह रहा है कि कपट छोड़कर विनय पूर्वक प्रश्न करने से व दंडवत प्रणाम करने पर ही तत्वदर्शी संत तत्वज्ञान का उपदेश करेगा।
  
अ 18 के श्लोक 62 और 66 में किसी अन्य परमेश्वर की शरण में भेज रहा है वह परमेश्वर कौन है ? वह तत्वदर्शी संत ही बताएगा।
सुने सत्संग साधनाTV 7:30PMसे
श्री देवी महापुराण के सातवें स्कंध पृष्ठ 562-563 पर प्रमाण है कि श्री देवी जी ने राजा हिमालय को उपदेश देते हुए कहा है कि हे राजन! अन्य सब बातों को छोड़कर मेरी भक्ति भी छोड़कर केवल एक ऊँ नाम का जाप कर, “ब्रह्म” प्राप्ति का यही एक मंत्र है। भावार्थ है कि ब्रह्म साधना का केवल एक ओम् ( 🕉️ ) नाम का जाप है, इससे ब्रह्म की प्राप्ति होती है और वह साधक ब्रह्म लोक में चला जाता है।  
कबीर परमेश्वर की वाणी है 🙏👇
कबीर,तीन लोक पिंजरा भया,पाप पुण्य दो जाल।
सभी जीव भोजन भये,एक खाने वाला काल।।
गरीब,एक पापी एक पुन्यी आया,एक है सूम दलेल रे।
बिना भजन कोई काम नहीं आवै,सब है जम की जेल रे।।
इस काल ( ब्रह्म ) के जाल को समझकर इससे निकलने के लिए संतरामपालजी महाराज के अमृतवचन सुने निम्न चैनलों पर। 

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